ABOUT PROF. JANARDAN DHAMIA

प्रोफेसर जनार्दन धामिया, थापक धामिक लोकतंत्री धाम
जन्मतिथि : एक जनवरी १९५४ ई.
जन्मभूमि : करमहा, टोला- सोहरौना, जनपद- महराजगंज,उत्तर प्रदेश , भारत |
हिंदी-विभाग ,दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में १९८० से अध्यापक और ३१ मार्च २०१५ से विभागाध्यछ |
लम्बे समय से सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन वाले काम से जुड़ाव | 'कोई और मुक्तिमार्ग तलाशिए' , 'राग को आकर चाहिए' और 'लोकतांत्रिक -स्वधर्मे निधनं'श्रेय:' जैसी पुस्तकें , जो लेखकीय पछ को स्पष्ट करने वाली होने के साथ ही सामाजिक-सांस्कृतिक बदलाव की दिशानिर्देशक-तड़प भी हैं |

२००३ में 'नव जीवन पाठशाला समिति'
२००३ में 'नव जीवन पाठशाला समिति' का गठन , जिसके परामर्शदाता सदस्य के रूप में लोगों के साथ मिलकर जीवन-मूल्यों की नई गति पाने-बनाने की यात्रे में आगे बढ़ना हुआ | फिर 'सर्वाधिक पिछड़ा उत्थान मण्डल' की गतिविधियों द्वारा पुराने भारत तथा आजाद भारत की रचना में अपनी हड्डी गलाती-पसाती आ रही बेबस आबादी हेतु समझ तथा संवेदना का नया ओढ़ना-बिछोना जुटाने-बनाने की तरफ भी लगना हुआ | इन्हीं कार्यों के चलते 'भारतीय सार्वजनिक जीवन संपोषण धाम' जैसी एक अवधारणा को विकसित करने की योजना में 'लोकतंत्री जात्रा' में निकलना हुआ |
इस सफ़र में अपने 'लोकतंत्री धाम' का निधान करके अब 'स्वाधीन भारत का धर्मपथ और उसके रुपन' की रचना का काम अंगीकार कर लिया| इसी की कड़ी में , मेहनत और ईमान की बरकती खातिर 'अपना दूसरा विश्वविध्यालय' नाम से एक नायब पढ़ना-पढाना भी शुरू कर दिया है | इस सब से आगामी नई सभ्यता के पैरोकार साथी-समाज को खड़ा करना ही प्रमुख मंतव्य है | अपने गांव-घर के जीवन की ओर उन्मुखता तथा मित्र-मंडली के विस्तार की चाहत में मैं हूँ नवरंगी तरंगों में/अपनी सांस्कृतिक के स्वर लिए में इस जनार्दन धामिया को पाया जा सकता है|'लोकतंत्री कथावार्ता' मासिक पत्र का संपादन दायित्व ले रखा है |